Sunday, May 29, 2011

ग़ाँधी की महान प्रतिज्ञायें …


1918 में एक अस्थाई सन्धि से युद्ध बन्द हो गया । बर्फ़ यानी कि पानी के उपचार से गाँधी की तबियत सम्भली । लेकिन कमजोरी बहुत थी । गाँधी को बम्बई लाया गया । डाक्टर ने जाँच पडताल के बाद कहा –
“अगर आप दूध और इंजेक्शन नहीं लेंगे तो मैं आपके शरीर को नहीं भर सकता ।”
      “इंजेक्शन दीजिए, लेकिन दूध ना लूँगा ।” गाँधी ने उत्तर दिया ।
      “दूध के बारे मे आपकी क्या प्रतिज्ञा है ?”   
      “मैंने दूध का त्याग कर दिया है । वह मनुष्य की खुराक नहीं है यह तो मैं सदा मानता रहा हूँ ।”
डाक्टर ने चट कहा –
“आप बकरी का दूध लें तो भी मेरा काम हो जायेगा ।”
गाँधी लिखता है कि –
“मैं हारा । सत्याग्रह की लडाई के मोह ने मुझमें जीने का लोभ पैदा कर दिया और मैंने प्रतिज्ञा के अक्षर के पालन से संतोष मात्र कर उसकी आत्मा का हनन किया । …” (पृ 548)
गाँधी ने दूध त्यागने की प्रतिज्ञा दक्षिण अफ़्रीका में ली थी और अपनी ‘आत्मकथा’ के उसी प्रकरण में लिखा था –
“व्रत का हेतु तो दूध मात्र का त्याग था । पर व्रत लेते समय मेरे सामने गोमाता और भैंस मात्र ही थी । इससे और जीने की आशा से मैंने मन को ज्यों-त्यों फ़ुसला लिया । मेरे व्रत की आत्मा का हनन हो गया, यह बात मैंने बकरी माता का दूध लेते समय भी जान ली ।”(पृ 335)
बकरी का दूध पीने से गाँधी चंगा तो हो गया, लेकिन प्रतिज्ञाभंग करने की आत्मपीडा उसे जीवन भर सालती रही । अपने सत्य और अहिंसा की व्याख्या के बाद लिखा है –
“सत्य के पालन का अर्थ है, लिये हुए व्रत के शरीर और आत्मा की रक्षा; शब्दार्थ और भावार्थ दोनों का पालन । यहाँ मैंने आत्मा का, भावार्थ का हनन किया, यह मुझे रोज चुभता है ।”
गाँधी ने इस तरह की अनेक प्रतिज्ञाएँ की अपने महात्म्य को बढाने के लिये और फ़िर उन्हे जब चाहा तब तोड दिया किसी स्वार्थ की पूर्ति के लिये । गाँधी में अपना सत्य झेलने की यह हिम्मत कभी पैदा नही हुई । उसकी ये प्रतिज्ञाएँ महज एक ढोंग थीं । वह उन्हें निहित स्वार्थों की सेवा के लिये रखता था और निहित स्वार्थों की सेवा ही के लिये तोडता भी रहता था ।

3 comments:

  1. gandhi ne hi hamare desh ko kamjor banaya hai nathuram godse ne unka vadh sahi kiya tha

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  2. Chuthiya hai...tu.... tereko saaraa gyaan hai.... saale RSS ki tatti kahi ke.... tera baap tha gandhi.... saale gooh kahi ke.... toltoli sale... MOHAN BHAGVAT ke pechis... dast kahi ka.... dhor.... nangaaa karke mare tereko... dheka dheka(bump) pe.....

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