Saturday, July 9, 2011

सुखदेव का पत्र गाँधी के नाम

शहीद सुखदेव ने, मार्च 1931 में घृणित गाँधी-इर्विन समझौते के बाद, अपनी फ़ाँसी से तीन दिन पहले, एक खत लिखकर गाँधी से कुछ पूछा था, इस खत का जबाब गाँधी ने उन्हे और इस देश को कभी नही दिया । आखिर कब तक हम सब सोते रहेंगे ? अब नयी पीढी फ़िर से पूछेगी वो सारे प्रश्न जिन्हे गाँधी, नेहरू और उनकी अंग्रेज सरकार ने दबा दिया, कभी अपने जुल्मों से, कभी प्रेस पर पाबंदी लगाकर और कभी गाँधी के उपदेशों से भरमाकर ।
उसी पत्र के कुछ अंश प्रस्तुत हैं …
“समझौता करके आपने अपना आन्दोलन रोक लिया है, इसके परिणामस्वरूप सत्याग्रह के सारे कैदी रिहा हो गये हैं । पर क्रान्तिकारी बन्दियों के बारे मे आपका क्या कहना है ? 1915 के गदर पार्टी के कैदी आज भी जेलों में पडे सड रहें हैं, जबकि उनकी सजायें पूरी हो चुकी हैं । मार्शल ला के सैकडों कैदी आज भी जीवित होते कब्रों में दफ़नाये हुये हैं । इसी तरह बबर अकाली लहर के दर्जनों कैदी जेल की यातनायें सहन कर रहे हैं । आधी दर्जन से ज्यादा केस – लाहौर, दिल्ली, चटगांव, बम्बई कलकत्ता आदि स्थानों पर चल रहे हैं, अनेक क्रान्तिकारी शामिल हैं जिसमे औरतें भी हैं, कई कैदी अपनी मौत का इन्तजार कर रहे हैं । इन सबके बारे में आपको क्या कहना है ? …  ” – पंजाबी पत्रिका हेम ज्योति, मार्च 1971
शहीद सुखदेव ने स्पष्ट शब्दों मे गाँधी पर यह आरोप लगाया था –“आप क्रान्तिकारी आन्दोलन को कुचलने में नौकरशाही का साथ दे रहे हैं ।”
शहीद का यह आरोप कितना सच है और कितना झूठ ये आप सभी अच्छी तरह जान चुके हैं। गाँधी की इस तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकत कहा तक न्यायसंगत है ? क्या जेलों मे पडे अन्य कैदी उनके देशवासी नही थे, क्या उनका उद्देश्य देश को आजादी दिलाना नही था, क्या उन्होने देश के लिये कुछ नही किया था, देश के लिये अब उनका कोइ महत्व नही रह गया था ? परन्तु गाँधी को तो इस बारे में कुछ सोचना ही नही था, उसे क्रान्तिकारियों के बढते प्रभाव का डर जो सता रहा था, उसे अपने चहेते लालची नेहरू को देश का कर्णधार जो बनाना था ।
जय हिन्द, जय स्वदेश ।

2 comments:

  1. आप अपने दृष्टिकोण के माध्यम से भी कुछ अविस्मरणीय विभूतियों की स्मृति तो जगाए हुए ही हैं, जिनका देश सदा ऋणी रहेगा.

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  2. really i am very happy at least you write the true fact in your blog and the people may know know the reality that was hidden for a long time.

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