Sunday, July 3, 2011

नाथूराम गोडसे का आखिरी पत्र : Nathuram Godse's last letter

प्रिय बन्धो चि. दत्तात्रय वि. गोडसे
              मेरे बीमा के रूपिया आ जायेंगे तो उस रूपिया का विनियोग अपने परिवार के लिए करना । रूपिया 2000 आपके पत्नी के नाम पर , रूपिया 3000 चि. गोपाल की धर्मपत्नी के नाम पर और रूपिया 2000 आपके नाम पर । इस तरह से बीमा के कागजों पर मैंने रूपिया मेरी मृत्यु के बाद मिलने के लिए लिखा है ।
              मेरी उत्तरक्रिया करने का अधिकार अगर आपकों मिलेगा तो आप अपनी इच्छा से किसी तरह से भी उस कार्य को सम्पन्न करना । लेकिन मेरी एक ही विशेष इच्छा यही लिखता हूँ ।
              अपने भारतवर्ष की सीमा रेखा सिंधु नदी है जिसके किनारों पर वेदों की रचना प्राचीन द्रष्टाओं ने की है ।
वह सिंधुनदी जिस शुभ दिन में फिर भारतवर्ष के ध्वज की छाया में स्वच्छंदता से बहती रहेगी उन दिनों में मेरी अस्थि या रक्षा का कुछ छोटा सा हिस्सा उस सिंधु नदी में बहा दिया जाएँ । मेरी यह इच्छा सत्यसृष्टि में आने के लिए शायद ओर भी एक दो पीढियों ( Generations ) का समय लग जाय तो भी चिन्ता नहीं । उस दिन तक वह अवशेष वैसे ही रखो । और आपके जीवन में वह शुभ दिन न आया तो आपके वारिशों को ये मेरी अन्तिम इच्छा बतलाते जाना । अगर मेरा न्यायालीन वक्तव्य को सरकार कभी बन्धमुक्त करेगी तो उसके प्रकाशन का अधिकार भी मैं आपको दे रहा हूँ ।
              मैंने 101 रूपिया आपकों आज दिये है जो आप सौराष्ट्र सोमनाथ मन्दिर पुनरोद्धार हो रहा है उसके कलश के कार्य के लिए भेज देना ।
              वास्तव में मेरे जीवन का अन्त उसी समय हो गया था जब मैंने गांधी पर गोली चलायी थी । उसके पश्चात मानो मैं समाधि में हूँ और अनासक्त जीवन बिता रहा हूँ । मैं मानता हूँ कि गांधी जी ने देश के लिए बहुत कष्ट उठाएँ , जिसके लिए मैं उनकी सेवा के प्रति और उनके प्रति नतमस्तक हूँ , किन्तु देश के इस सेवक को भी जनता को धोखा देकर मातृभूमि का विभाजन करने का अधिकार नहीं था ।
              मैं किसी प्रकार की दया नहीं चाहता और नहीं चाहता हूँ कि मेरी ओर से कोई दया की याचना करें । अपने देश के प्रति भक्ति-भाव रखना अगर पाप है तो मैं स्वीकार करता हूँ कि वह पाप मैंने किया है । अगर वह पुण्य है तो उससे जनित पुण्य पर मेरा नम्र अधिकार है । मुझे विश्वास है की मनुष्यों के द्वारा स्थापित न्यायालय से ऊपर कोई न्यायालय हो तो उसमें मेरे कार्य को अपराध नहीं समझा जायेगा । मैंने देश और जाति की भलाई के लिए यह कार्य किया है । मैंने उस व्यक्ति पर गोली चलाई जिसकी नीतियों के कारण हिन्दुओं पर घोर संकट आये और हिन्दू नष्ट हुए । मेरा विश्वास अडिग है कि मेरा कार्य ' नीति की दृष्टि ' से पूर्णतया उचित है । मुझे इस बात में लेशमात्र भी सन्देह नहीं की भविष्य में किसी समय सच्चे इतिहासकार इतिहास लिखेंगे तो वे मेरे कार्य को उचित ठहराएंगे ।
                 कुरूक्षेत्र और पानीपत की पावन भूमि से चलकर आने वाली हवा में अन्तिम श्वास लेता हूँ । पंजाब गुरू गोविंद की कर्मभूमि है । भगत सिंह , राजगुरू और सुखदेव यहाँ बलिदान हुए । लाला हरदयाल तथा भाई परमानंद इन त्यागमूर्तियों को इसी प्रांत ने जन्म दिया ।
                 उसी पंजाब की पवित्र भूमि पर मैं अपना शरीर रखता हूँ । मुझे इस बात का संतोष है । खण्डित भारत का अखण्ड भारत होगा उसी दिन खण्डित पंजाब का भी पहले जैसा पूर्ण पंजाब होगा । यह शीघ्र हो यही अंतिम इच्छा !

आपका
नाथूराम वि. गोडसे







10 comments:

  1. raghupati raghav rajaram desh bacha ke gaye nathuram

    ReplyDelete
  2. nathuram ne sahi kaam kiya ..jo desh ko torne ka kaam kare , aise aadmi ko maarna koi paap nahi. natu ki jagah mai bhi hita to yahi karta. aaj bhi hamara
    desh ush batbare ko jhel raha hai..

    ReplyDelete
  3. nathuram godse is one of many ... who are misunderstood by public sentiments.

    ReplyDelete
  4. Agar Kashmir ka dan hoga to nischay aur ek nathuram hoga.........

    ReplyDelete
  5. आज काफी देशभक्तों? द्वारा गोडसे का को याद किया जा रहा है. उसने गाँधी को मारकर ठीक किया या नहीं इस बात पर कई तरह के मत हैं. और सभी अपने मतों को सही बताते हैं और सबके मतों के समर्थक भी खासी संख्या में मौजूद हैं. अत: इस बात पर संवाद होने की गुंजाईश कम है.
    लेकिन गाँधी-हत्या का जो आधार गोडसे ने प्रदिपादित किया उस पर तो संवाद होना ही चाहिए- गोडसे ने कहा कि 'उसके मतानुसार' गाँधी ने हिन्दू हितों को नुकसान पहुँचाया इसलिए 'उसे' लगा की गाँधी को मार कर वह हिन्दू-हित ही करेगा. यह तो गोडसे की बात थी. इस बात से जो नियम बनता है वह है -
    यदि आपको अपनी बुद्धि के विश्लेषण के अनुसार कोई व्यक्ति आपके समुदाय, संप्रदाय, देश आदि को नुकसान पंहुचा रहा हो तो उसे रोकने का एकमात्र रास्ता उसके प्राण ले-लेना है. इस नियम के तहत जरूरी नहीं की सभी आपके मत को मानते हों. और नियम सबके लिए एक जैसा होता है.

    यदि गोडसे के अनुयायी/समर्थक इस नियम को सही मानते हों तो कश्मीर के आतंकवादी, इंडियन मुजाहिद, ओसामा, नक्सली सभी सही हैं और उन्हें भी इस बात का अधिकार है कि जो उनके मत को ठीक नहीं समझता उसे मार दिया जाय. और औरंगजेब का मंदिर तोडना या इसाई इक्विजिशन(इसाई धर्म अदालत जो इसाई धर्म की आलोचना करने वालों को कठोर मृत्यु दंड देती थी) तो बहुत ही उच्च किस्म का धार्मिक कार्य था. अब ऐसा तो होगा नहीं कि हम करें तो ठीक बाकी गलत. गोडसे की समर्थक भी थे तो इनके भी हैं. गोडसे को भी लगता था कि वह जो काम कर रहा है उससे उसके धर्म का/समाज भला होगा और इन लोगो को भी यही लगता है. गोडसे भी अपनी बात लोगो को समझाने नहीं निकला बल्कि उसने अपने कुछ समर्थकों को खड़ा कर दिया. ये लोग भी ऐसा ही करते हैं. तो फिर जब नियम एक ही है तो हम सही ये गलत कैसे? ये एक सवाल है.

    फिर इससे एक और नियम निकलता है कि जब अपने अपने मत को सही ठहराने के लिए हम अपने बाहुबल या संख्याबल को ही ठीक समझते हैं तो हमें पश्चिमी संकृति के उस नियम को भी ठीक मानना पड़ेगा जिसके तहत 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' मानी जाती है. और जब इस नियम को मानने लगते हैं तो तमाम अच्छी बातों को एक किनारे कर साम-दाम दंड-भेद सिखाने के स्कूल खोलने चाहिए.

    पर इस सबमे एक समस्या है कि ये भारतीय सनातन हिन्दू संस्कृति से मेल नहीं खाता जिसकी रक्षा के लिए गोडसे ने 'गाँधी-वध' को अंजाम दिया था.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Gandhi ko marne ka sirf ek karan nahi tha. Desh ka batwara sbse bada karan tha..
      Pr ap jaise buddhi jeevi hi desh ka batwara dekh skte h.
      Nathuram ghodse ne kuch galat nhi kiya.
      Jo desh todega uske sth aisa ho skta h.
      Or Mr. Kashmir k log
      Indian mujahid din ye sb desh todne ka kaam kr rhe h .
      Inhe bhi wahi saza milegi.
      Nathuram or us atankwad me koi samanta nhi h. Pr gandhi k desh todne or atankwad ka desh todne me samanta jrur h.
      Sbse bada hit desh hit hota h. Desh hit k bich me ane wale logo ko smjhaya ja skta h pr ahit krne walo ko hataya jata h

      Delete
    2. jati bad me pehle desh hit ki baat likhi hai.so please apka wislesan adhura hai

      Delete
  6. very powerful logic. I was pro nathuram godse. with your comments has become closer to neutral, no comments. I will thinkover and write you. Dr. AK Upadhyay

    ReplyDelete
  7. Above thought is good to make argument but it is way away from tha fact,to kill gandhi ji nathutam has resion that gandhi ji supported Muslims on the cost of hindus interest and it is a proven history,this history made nathuram think in the way he thought .what made osama and co. and other terrorist grups to kill innocent people. There is not at all any comparison in godses act and the act of osama and co and Christian equisition , godse was not against Muslims he was against the thought of supporting a particular religion every time ,and where as above groups are against all otherl religions . Please understand the difference then make any comment.don't only show your argumentel capacity.

    ReplyDelete
  8. Samaj me aj bhi wesi hi daridrata feli hui he jo pahle thi

    ReplyDelete

लिखिए अपनी भाषा में