ये रहस्य मैं सुलझाने नही जा रहा हूँ, आपको केवल हमारी सरकारों के तथाकथित प्रयासों से अवगत कराने की कोशिश मात्र है, पुन: मैं एक समाचार पत्र के टुकडे आप तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा हूँ। जय हिन्द।
23 जनवरी 2009 नवभारत टाइम्स
नई दिल्ली: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत कब और कैसे हुई - यह आज तक रहस्य बना हुआ है। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए तीन आयोग गठित हुए, तीनों ने अपनी रिपोर्ट भी सौंपी, लेकिन मिस्ट्री अब भी बरकरार है। इस रहस्य की तह तक जाने में जुटे लोगों का कहना है कि सरकार इसे लेकर कतई गंभीर नहीं है और न ही सरकार ने इसे सुलझाने में मुखर्जी कमिशन की मदद की। बावजूद इसके इन लोगों को भरोसा है कि एक न एक दिन सच सामने आएगा। इसी सच को जानने के लिए आरटीआई का सहारा लिया जा रहा है, ताकि नेताजी की मौत से जुड़े कागजात के सहारे सचाई को सामने लाया जा सके।
मौत की मिस्ट्री
नेताजी के बारे में कहा जाता रहा है कि उनकी मौत 18 अगस्त 1945 को ताइपे में एक प्लेन क्रेश में हुई। लेकिन, बाद में इस पर कई सवाल उठने लगे। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए 1956 में शाहनवाज कमिटी का गठन किया गया, जिसने ताइवान गए बिना ही सिर्फ जापान में कुछ लोगों से बात करके यह रिपोर्ट दे दी कि नेताजी की मौत प्लेन क्रेश में ही हुई थी। इस रिपोर्ट पर कमिटी में शामिल नेताजी के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस ने कड़ी आपत्ति जताई। ज्यादातर सांसद भी इस रिपोर्ट से सहमत नहीं थे।
1970 में खोसला कमिशन का गठन किया गया, जिसने अपनी रिपोर्ट में यही बात दोहराई। लेकिन 1978 में मोरारजी देसाई ने संसद में यह कहा कि कुछ ऐसे कागजात मौजूद हैं, जिनसे नेताजी की मौत प्लेन क्रेश में होने की बात स्वीकार नहीं की जा सकती। इसके बाद 1999 में मुखर्जी कमिशन ने इस गुत्थी को सुलझाने की जिम्मेदारी ली। कमिशन ने 2005 में अपनी रिपोर्ट में कहा कि नेताजी की मौत प्लेन क्रेश में नहीं हुई थी। ताइवान ऑथॉरिटी ने भी कहा कि 14 अगस्त से 20 सितंबर 1945 के बीच वहां कोई प्लेन क्रेश नहीं हुआ था। लेकिन आयोग यह बताने में सफल नहीं हो पाया कि नेताजी की मौत कब, कैसे और कहां हुई थी।
क्या छुपा रही है सरकार
मिशन नेताजी से जुड़े चंद्रचूड़ घोष कहते हैं कि सरकार इस गुत्थी को सुलझाने में कतई दिलचस्पी नहीं ले रही। मुखर्जी आयोग को भी पूरी मदद नहीं दी गई। जब नेताजी की मौत से जुड़ी कैबिनेट सेक्रेटरी लेवल की एक फाइल मांगी गई तो कहा गया कि वह नष्ट हो चुकी है। सरकार का कोई भी मंत्रालय कोई भी जानकारी नहीं दे रहा है। एक तरफ सरकार कह रही है कि वह कुछ नहीं छुपा रही है और दूसरी तरफ जानकारी मांगने पर सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन से कहा गया कि वे कागजात इतने संवेदनशील हैं कि अगर उन्हें रिलीज किया गया तो दूसरे देशों से हमारे रिलेशन खराब होंगे और आंतरिक शांति भंग होगी। यह भी कहा गया कि कागजात रिलीज होने पर पश्चिम बंगाल जल उठेगा। घोष कहते हैं कि हम चाहते हैं कि नेताजी से जुड़े जितने डॉक्युमेंट्स हैं वे पब्लिक के सामने आएं, सिटिजन इनक्वायरी हो और इस गुत्थी को सुलझाया जाए।
सच जानना है अधिकार
यूथ फॉर इक्वैलिटी भी मिशन नेताजी की मुहिम में साथ आ गया है। इसके अध्यक्ष डॉ. कौशल कांत मिश्रा का कहना है कि आरटीआई के जरिए हम सच की तह तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। नेताजी सुभाष क्रांति मंच के संयोजक वी. पी. सैनी कहते हैं कि यह हमेशा मिस्ट्री नहीं रह सकती। चाहे कितने भी संवेदनशील कागजात हों उन्हें रिलीज करना चाहिए ताकि पूरी साजिश का खुलासा हो सके। सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रही है इसलिए पब्लिक प्रेशर बनाना बेहद जरूरी है।
क्या विचार है आपके? और आप जो भी कर सकते हैं करने की कोशिश करें। ज़य हिन्द।
jo dhrm mr nahi wo desh ke kya hote.
ReplyDeletekhud dharm badal kar duniya se chale gaye
aur deshj ke naam kar gaye videshi pote.