Sunday, October 13, 2013

राम प्रसाद बिस्मिल और जवाहर लाल नेहरू: काकोरी लूट का मुकदमा


काकोरी कांड : ९ अगस्त १९२५ को काकोरी के पास महान क्रन्तिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में कुछ क्रांतिकारियों ने ८ डाउन सहारनपुर लखनऊ पैसेंजर रोककर सरकारी खजाना लूट लिया।

 

२६ सितम्बर १९२५ तक ब्रिटिश पुलिस ने समूचे देश में ४० लोग गिरफ्तार किये, उन पर मुकदमा चलाया गया और पूरे डेढ़ साल तक लखनऊ हजरतगंज चौराहे पर बड़े डाकघर के पास स्थित रिकथियेटर नाम के सिनेमाघर को अदालत बनाकर उसमें काकोरी कांड के मुक़दमे का तांडव खेला गया।

इसमें रामप्रसाद बिस्मिल समेत चार लोगों, ठाकुर रोशन सिंह, अश्फाक उल्ला खां व राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी तथा अन्य १६ को आजीवन कारावास से लेकर कम से कम ५ बर्ष की सजाओं का आदेश दिया गया।

 

ये तो थी कहानी, अब कुछ तथ्य और --

 

अंग्रेज सरकार की ओर से १० लाख रुपये पानी की तरह बहाए गए और सरकारी वकील की हैसियत से पंडित जगत नारायण मुल्ला को ५०० रुपये रोज के मेहनताने पर रखा गया (याद रहे मुकदमा डेढ़ साल चला), और ये वही व्यक्ति था जो मैनपुरी षड्यंत्र में भी सरकारी वकील रह चुका था और पंडित जवाहरलाल नेहरु का साला था।

 

बिस्मिल ने ३० बर्ष और ६ महीने की आयु पायी। कैसी विडम्बना है कि चीन में रामप्रसाद बिस्मिल को लोग ज्यादा जानते हैं। लन्दन के ब्रिटिश म्यूजियम में उनका चित्र मिलेगा पर हिन्दुस्तान में शायद नहीं।

 

अब तो जागो अब काले अंग्रेजों से मुक्त भारत बनाओ, अब तो गद्दारों को हटाओं, कब तक इन्हें अपना खून पिलाकर पालोगे।

 

बिस्मिल ने एक शेर अपने बारे में कहा था --
 

खुश्बू-ए-वतन, जब भी इधर घूम के निकले,

कहिएगा मेरे नक्शेकदम चूम के निकले,

बिस्मिल का नहीं, हिंद पाक़ीज जमीं के,

आशिक का जनाजा है, जरा धूम से निकले।

पत्रिका संस्कारम से, अंक मार्च २०१३
 

1 comment:

  1. Freedom fighter Ram Prasad besmil ,Thakur roashan singh and asfak Ulla khan ko Naman karte hai

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